दुर्घटना के बाद जिंदगी बचेगी या नहीं, यह बताती है क्रैश टेस्‍ट रेटिंग, जानें आपकी कार को मिले कितने स्‍टार 

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Updated Dec 29, 2019 | 13:45 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

What are crash test ratings: भारत जैसे देश में करीब हर मिनट एक जान जाती है। ऐसे में क्रैश टेस्ट में फेल हो चुकी कारों को सड़कों पर चलना हादसों को न्योता देने जैसा है। 

What are crash test ratings
What are crash test ratings  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • साल 2017 में कुल 464910 दुर्घटनाओं के मुकाबले साल 2018 में कुल 467044 सड़क दुर्घटनाएं हुईं
  • अधिकांश प्रचलित कारों की क्रैश रेटिंग 2 या उससे कम है जबकि लोग धडल्ले से इन कारों में चल रहे हैं
  • क्रैश टेस्ट की रेटिंग के लिए एक डमी कार बनाई जाती है जिसके अंदर सेंसर लगाया जाता है

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की रिपोर्ट 'भारत में सड़क दुर्घटनाएं - 2018' के अनुसार साल 2017 में कुल 464910 दुर्घटनाओं के मुकाबले साल 2018 में कुल 467044 सड़क दुर्घटनाएं हुईं। तेज रफ्तार, शराब पीकर गाड़ी चलाना, हेलमेट और सीट बेल्ट की अनदेखी इन दुर्घटनाओं में बड़े जिम्मेदार हैं। इन सब कारणों से इतर एक्सीडेंट्स की एक बड़ी वजह सड़क पर बढ़ते वाहन भी हैं। कम रखरखाव वाली गाड़ियां, उनमें सुरक्षा उपकरणों का न होना या फिर नई गाड़ी खरीदते समय उनके क्‍वालिटी फीचर्स को न चेक करना आदि भी ऐसे कई कारण हैं जो इन एक्सीडेंट्स को बढ़ावा देते हैं।

नई कार खरीदते वक्‍त अगर हम कुछ बुनियादी बातों का ख्‍याल रखें तो दुर्घटना का शिकार होने से बच सकते हैं। क्‍या आपने कार खरीदने से पहले उसकी क्रैश टेस्टिंग के बारे में पता लगाया है? कई लोगों को तो इसकी जानकारी तक नहीं है कि ये क्रैश टेस्ट रेटिंग आखिर है क्या? इस लेख में हम आपको पता रहे हैं कि क्रैश टेस्ट रेटिंग क्‍या है और भारत में बिकने वाली टॉप 10 कारों की क्रैश टेस्ट रेटिंग कितनी है? 

क्रैश टेस्ट रेटिंग क्या है?

जब भी आप कार लेने की सोचते हैं तो आप सिर्फ दो चार मुख्य फीचर को ही तवज्जो देते हैं जैसे कि इंजन की पॉवर, ब्लूटूथ कनेक्टिविटी, जीपीएस या फिर कार का रंग। जबकि आपको यह पता होना चाहिए कि ये सारे फीचर दुर्घटना के समय कोई काम नहीं आते हैं। दुर्घटना के वक्त आपके कार की क्रैश टेस्ट रेटिंग कैसी है उसी से तय होगा कि आपकी जिंदगी सही सलामत बचेगी या नहीं। 

दरअसल क्रैश रेटिंग यह बताती है कि दुर्घटना के समय यह कार के अंदर बैठे लोगों को बचाने में कितनी सक्षम है। इस समय मौजूद अधिकांश प्रचलित कारों की क्रैश रेटिंग 2 या उससे कम है जबकि लोग धडल्ले से इन कारों में चल रहे हैं। पश्चिमी देशों में कार क्रैश टेस्ट रेटिंग को लेकर क़ानून बहुत ही सख्त हैं और बिना टेस्ट पास किये कार की बिक्री की अनुमति नहीं मिलती है। 

कैसे किया जाता है क्रैश टेस्ट : 

क्रैश टेस्ट की रेटिंग के लिए एक डमी कार बनाई जाती है जिसके अंदर सेंसर लगाया जाता है। उसके बाद सामने से या साइड से उस डमी कार में तेज टक्कर मारी जाती है। यह टक्कर लगभग 40 किमी प्रति घन्टे की रफ़्तार से आ रही दूसरी गाड़ी से मारी जाती है। अंदर लगे हुए सेंसर यह बताते हैं कि उस सीट पर बैठे व्यक्ति को इस टक्कर से कितनी चोट पहुंच सकती है। जितनी कम चोट लगने की संभावना होगी समझिये उस कार की क्रैश रेटिंग उतनी ही अधिक होगी। अगर कार पूरी तरह टूट फूट जाती है और अंदर लगे सेंसर भी टूट जाते हैं तो यह दर्शाता है कि कार की क्रैश रेटिंग जीरो है। 

 

 

टॉप 10 कारों की क्या है क्रैश टेस्ट रेटिंग?

हम यहां आपको भारत के 5 सबसे ज्यादा बिकने वाली कारों की क्रैश रेटिंग बता रहे हैं। आप खुद ही अंदाज़ा लगाइए कि इन कारों को लेते समय क्रैश रेटिंग की अनदेखी करके आप कितनी बड़ी गलती कर रहे हैं। 

कार    रेटिंग 
मारुति स्विफ्ट 0 स्टार 
मारुति ऑल्टो 0 स्टार 
महिंद्रा स्कॉर्पियो 0 स्टार 
मारुति वैगन-आर 2 स्टार 
हुंडई आईi0 0 स्टार 
मारुति ब्रीजा 4 स्टार 
हुंडई सैंट्रो 2 स्टार 
टाटा नैनो 0 स्टार 
टोयोटा इटियॉस 4 स्टार 
रेनॉल्ट डस्टर 3 स्टार 


कार लेते समय किन चीजों का रखें ध्यान : 

अब तक आप समझ ही गए होंगें कि क्रैश रेटिंग आपके जीवन के लिए कितनी ज़रूरी है। तो अगली बार जब आप कार लेने जाएं तो सिर्फ डिजाइन और लुक पर ही फ़िदा ना हो जाएँ बल्कि उसके असली फीचर्स को भी जांचें परखें। सबसे पहले कार की क्रैश टेस्ट रेटिंग देखें , कोशिश करें कि 4 स्टार या 5 स्टार क्रैश रेटिंग वाली चार को ही खरीदें। साथ ही यह भी देखें कि आपकी ड्रीम कार में  आपकी जिंदगी को बचाने वाली और किन किन फीचर्स का ध्यान रखा गया है। 

मसलन उसमें अच्छी क्वालिटी का एयर बैग और सीट बेल्ट होना चाहिए। हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार अच्छी क्वालिटी का एयरबैग खतरनाक दुर्घटना होने के बाद भी ड्राईवर और साथ में बैठे लोगों को बचाने में सक्षम होता है। इसी तरह पीछे की सीट पर भी सीट बेल्ट और छोटे बच्चों के लिए बेबी सीट बेल्ट है या नहीं, इसकी भी जांच करें। 

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इन सारी चीजों की जांच के बाद ही कार के डिज़ाइन और बाकी फीचर चेक करें और उस आधार पर कार चुनें। अगर आपकी मनपसंद कार में जीवनरक्षक फीचर नहीं हैं तो इस बारे में कार निर्माता कंपनी से शिकायत करें। साथ ही साथ सरकार पर भी दवाब बनाएं कि भारत में भी क्रैश टेस्ट रेटिंग से जुड़े नियमों को सख्त बनाया जाए और उनका सख्ती से पालन हो। आखिर अपनी जिंदगी से प्यार किसे नहीं है !!

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